Computer Booting Process

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बूटिंग प्रोसेस, एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें BIOS SYSTEM द्वारा कंप्यूटर में अटैच किए गए समस्त हार्डवेयर की कार्यप्रणाली को चैक किया जाता है। 

(Image Credit : Pixabay | geralt-9301)

जब आप कंप्यूटर या लेपटॉप स्टार्ट करते हैं तो आपके कंप्यूटर का सीपीयू और BIOS SYSTEM यह देखता है कि आपके कंप्यूटर में मदरबोर्ड से कौन—कौन से डिवाइस, उपकरण अटैच किए गए हैं और वह उपकरण ठीक से कार्य कर रहे हैं या नहीं। कंप्यूटर द्वारा की जाने वाली यह जांच प्रक्रिया ही बूटिंग कहलाती है। 

जब कंप्यूटर द्वारा जांच पूर्ण कर ली जाती है कि सभी उपकरण ठीक से कार्य कर रहे हैं, तब वह कंप्यूटर में इंस्टॉल किए गए OPERATING SYSTEM को रन करवाता है। OPERATING SYSTEM को रन कराने के लिए BIOS SYSTEM द्वारा बूट डिवाइस को खोजा जाता है, जैसे HDD, DVD, PENDRIVE आदि। इनमें जहां भी BIOS को बूट फाइल मिल जाती है, वहीं से वह OPERATING SYSTEM को रन कराने लगता है। अगर बूट फाइल नहीं मिलती है तो वह आपको एरर के माध्यम से सूचित भी कर देता है।

कंप्यूटर में बूटिंग की प्रक्रिया दो प्रकार से होती है : 

COLD BOOTING : जब पावर बटन दबाकर लेपटॉप या कंप्यूटर स्टार्ट किया जाता है तो पहली बार BIOS द्वारा जो बूट प्रक्रिया की जाती है, उसे कोल्ड बूटिंग कहा जाता है।

WARM BOOTING : कंप्यूटर में कार्य करने के दौरान अगर कोई प्रोग्राम इंस्टॉल किया जाता है या कंप्यूटर में कोई एरर आना, हैंग होना या कंप्यूटर में लगाया गया कोई डिवाइस ठीक से कार्य न करना जैसी स्थिति निर्मित होती है तो रीस्टार्ट कमाण्ड के द्वारा कंप्यूटर को पुन: प्रारंभ करने पर BIOS द्वारा जो बूट प्रक्रिया की जाती है, उसे वार्म बूटिंग कहा जाता है।

यहां यह स्पष्ट करना उचित होगा कि हैंग होने या उपरोक्तानुसार एरर आने पर कंप्यूटर को सीधे बन्द करना  (विद्युत सप्लाई बन्द कर देना) और बटन से पुन: प्रारंभ करना, री स्टार्ट नहीं कहा जाता है। और इस प्रकार होने वाली बूटिंग को वार्म बूटिंग भी नहीं कहा जाएगा।
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